Friday, October 24, 2014

कउआ कान ले गईल

नमस्कार!
हालिचालि ठीक बा . हुदहुद नाव के समुद्री तूफान चलि गईल. ऊपी के अधिकारी लोग ना जाने कहां से मौसम के हालि देखल कि लइकन के ओहि दिन  छुट्टी कईल लोग जहिया घाम होखे के रहे. दिया दियारी बिति गईल अब दरिद्दर खेदाई आ आजु गोधन कुटाई.

आजु काल्हि फेरु काला धन के चर्चा होता.  ई बहुत दिन से होता. पहिले नारा लागे धन और धरती बंट के रहेगी. बुहुत जगह धरती बटल त लोग कुकुर बिलारि की नाम से भी बेनामी सम्पत्ति बना लिहल. जेकर गईल ओकर गईल.

रामदेव जी कालाधन की नाव पर  खूब अनुलोम विलोम कईलें. योग सिखवलें अब ऊहो ब्यूटी क्रीम बेचतारे. भाजपा के नेता लोग कहता की भारत काला धन के पचावेके संधि कईले बा. सब नेता लोग के बाति मानि लिहल जा त ईहे लागता कि भारत के सब राजदल के नेता लोग'  बड़्का मीडिया आ अखबार वाला लोग ई संधि क लेले बा कि जनता दूसरे देश की धन के जोड़ लगावति रहे. आ ओकर इंतजार करत रहे. काल्हि यनडी टीवी पर एगो प्र्फेसर साहब कहले कि जेतना काला धन बा ओकर दसे परसेन्ट विदेशी खाता में गईल बा, आ ना जाने केतना रूप बद्लि के आ गईल बा. बाकी नब्बे परसेन्ट त एही देसवे में बा.

जब छोट लईका बहुत तंग करेलें स आ  रोवल बंद ना करेले त देहातन में उनुके बझावे  खातिर बड़का लोग कहि दी तहार कान कउआ ले गईल. लईका रोवल छोड़िके  कउआ की ओर देखे लागी.

एहीतरे  देश की जनता के बझावे खातिर विदेशी धन ले आवेके नाटक चलता. आ रोज ये देशवे में लोगनि के अरब, खरब, नील, शंख आ महाशंख रुपया काला धन में बदलि जाता.

त सरकार जी पत्रकार जी आ जनसेवा के व्रतधारी नेताजी लोग से ई निवेदन बा कि पहिले देसवा के धन बाहर गईला से रोकीं. जौन देशवा में बा ओके बाहर करीं आ विदेश से भी ले अईला के कोशिश करत रहीं.

बकि एगो बाति बा कौनो मुकदिमा लोवर कोरट से लेके सबसे  बड़्का कोरट ले . एके सालि में फैसला हो जायेके चाही. एक सालि बीति गईला की बाद ओकर लगातार सुनवाई होखे के चाही.

देशवा की भीतर के धनवा त बम बम कके बोलता.  छप्प्न इंच कि सीना वाला के देखेके बा.

नमस्कार!

सब  लोगनि  तिहवार हंसी खुसी से बीते.
फेरू भेंट होई.

Wednesday, February 23, 2011

Saturday, November 13, 2010

Monday, December 28, 2009

रुचिका को न्याय बनाम भारत में न्याय

रुचिका को न्याय बनाम भारत में
नमस्कार !
हालचाल ठीक है ?

आजकल चर्चे में बहुत सी बातें हैं। उनमें से एक है रुचिका गिरिहोत्रा का केस। मीडिया, संसद और सड़क सब जगह चर्चे हैं। १९ वर्षों के बाद एक सेवानिवृत्त आईपीएस को सजा हो गई है। सजा तभी हुई जब अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए तथा उनको चाहने वाले नेता इस समय सरकार में नहीं हैं। अधिकारी महोदय ने एक १२ वर्षीया खलाड़ी के साथ बदसलूकी की। थाने में प्राथमिकी लिखाने के प्राथमिक प्रयास असफल रहे। क्योंकि तत्कालीन गृहमंत्री तथा मुख्यमंत्री ने अनुमति नहीं दी। बाद में उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से सीबीआई केजांच के बाद मुकदमा शुरू हुआ।
इसमें दो बाते और उल्लेखनीय हैं एक तो यह की घरवालों पर दबाव बनाने के लिए रुचिका के भाई को फर्जी मुकदमों में फंसाकर जेल भेजा गया। इसी दौरान रुचिका ने आत्महत्या कर ली। इसके बाद उसके भाई को छोड़ दिया गया। इस प्रकरण से सम्बंधित बहुत सी बाते अब अखबारों में छप रहीं हैं।

प्रश्न उठता है कि घटना के ठीक बाद इतना ही हल्ला क्यों नहीं मचाया गया। क्या उस समय मीडिया भी दबाव में थी? लगता तो यही है.
दूसरा प्रश्न है कि क्या यदि अधिकारी महोदय को सजा नहीं मिली होती तो भी इतना ही हल्ला मचता ? शायद कुछ नहीं होता। हल्ला तो इस लिए मच गया कि सजा कम थी।

तीसरा प्रश्न उठता है कि क्या भारतीय कानून के समक्ष सभी लोग एक सामान हैं? यदि सामान होते तो तत्काल प्राथमिकी लिखी जाती और उस केस की विवेचना एक उच्च अधिकारी को दी जाती।

चौथा प्रश्न क्या दिन रात मंच से जनता की सेवा करने वाले लोगों को कुछ भी करने में शर्म नहीं आती?

किसी भी केस के फैसले में अधिकतम कितने दिन लगने चाहिए यह तय हो जाना चाहिए। न्यायपालिका के पास अब शोध अनुभाग भी होना चाहिए जिससे त्वरित न्याय की सुबिधा को बढाया जा सके। एक तय सीमा समाप्त हो जाने के बाद उस केस की सुनवाई लगातार होनी चाहिए तथा फैसला आना चाहिए।

न्यायालयों की संख्या तथा न्यायाधीशों की संख्या भारत की जनसंख्या के अनुपात में होनी चाहिए। खेद का विषता है कि भारत में जनसंख्या के अनुपात में सभी विभागों में अधिकारियों की कमी है। कुछ दिनों पहले तक खर्चा सरकारी खर्च घटाओ का नारा बुलंद किया जाता रहा है। इसके नाम पर सभी विभागों में कार्मिकों की भारती पर रोक लगा दी गयी। आई यम यफ कराप्रवंचन पर कोई राय नहीं देता है। माननीय राजीव गांधी जी बोल गए की सरकार का ९० प्रतिशत धन हवा में उड़ जाता है। उन्होंने भी इस पर कोई बात नहीं की कि जनता की जेब से जो कर व्यापारियों के माध्यम से सर कार को जाता है उसमें से कितना हवा में उड़ जाता है.

क्या इस समय यह उठा हवा शोर भारत में प्रभावी सरकार अर्थात,कार्यपालिका, न्यायपालिका एवं विधायिका में सुधार में कुछ योगदान कर सकेगा?

मीडिया जगी रहे और जगाती रहे।

नमस्कार।











Friday, December 25, 2009

बड़ा दिन

बड़ा दिन
नमस्कार!
सब हालचाल ठीक बा !


आजु २५दिसम्बर ईसाई लोगन के सबसे बड़का तिहवार जाड़ा खूब पड़ताएही जाड़ा में हर सालि तिहवार पड़ेलाबाक़ी असो के जाड़ा के बाति कुछु अउरू बाअमेरिका रूस इतना बर्फबारी होता कि सौ साल केरिकार्ड टूटि गईल बादिन में खूब अछा घाम होता , पछुआ बेयारि बहतियाराती के खूब ठिठुरन होता असलीपूस के राति होता

अग्रेजिहा लोग एके क्रिसमस के तिहवार कहेला बाकी भोजपुरिया लोग एके बड़ा दिन कहेलापहिले हमनी का बड़ाफेर में रहींजा कि कईसे बड़ा दिन कहाला दीन खूब छोट होला बाक़ी कहाला बड़ा दिनबाद में लोग बतावल किआजु से दिन तनी तनी बढ़ल शुरू होला एहिसे एके बड़ा दिन कहल जालाएपर एगो बुझौवली भी रहे बाकी अबमन नईखे परत

नीज एही समय हिन्दू लोग खरवास चाहे खरमास मनावेलाजौना महीना में कौनो नया कार ना कईल जालाखरवास अंग्रेजी तारीख की हिसाब से चलेला१५ दिसंबर से शुरू होके १४ जनवरी के "खिचड़ी" की तिहवार केख़तम होलाएही खरवास में अंग्रेजी के नया साल भी शुरू हो जाला नवका कलेंडर डायरी खूब बिकालातमाम कम्पनी, बड़े आदमी, डायरी कलेंडर बांटेलानोकरी करेवाला लोग बीमा जरूर करावेलाबीमा के एजेंटलोग डायरी कलेंडर जरूर देला एही खरवास में डायरी अवासे के परेला अब धीरे धीरे खरवास के परहेजटूटल जातानया नया तकनीक गईले से मौसम के प्रभाव के काट होत चलि जात बा


जवना समय हिन्दू भाई लोग खवास मनावत रही ठीक ओही समय ईसाई भाई लोग के मसीहा यीशु के जन्मदिनमनावल जाई आज २५ दिसंबर के पूरा दुनिया में लोग एक दूसरे खूब शुभकामना के सनेसा दीहमरा बुझाताकी विश्व बंधुत्व के बढ़ावे खातिर आज के दीन ठीक रहीईहे सोचिके हम चाहत बानी कि पूरा पृथ्वी के सब चर,अचर, जड़ चेतन सभे सुखी रहे , आनंद मनावेसंस्कृत में कहल बा कि सब सुखी रहे ,सभे निरोग रहे , सब शुभदेखे , केहू का कौनो दुःख जनि होखे

सबके हालचाल ठीक रहे!

नमस्कार

Monday, November 16, 2009

श्री गणेशाय नमः

नमस्कार!
काहो का हालचाल बा?


भोजपुरी के अभिवादन भोजपुरी बोली होखे चाहे भाषा लेकिन बहुते लोगन के मातृभाषा ठीक बात होसकेला की भोजपुरी के समझेवाला लोग हिन्दी के बहुत जल्दी समझि जाला हिन्दी वाला लोग भोजपुरी केआसानी से समझि सकेलालेकिन जब हिन्दी माध्यम से पढ़े वाला लोग भी भोजपुरी लिखत समय परेशानी महसूसकरे लागेला औरी लोग खातिर जरूर कठिन हो सकेलाभोजपुरी के मिठास जाने खातिर आज की जुग में एकेलिपिबद्ध कईल बहुत जरूरी बाकम्पू महाराज कीकृपा से रोमन में लिखला से भी काम चली जाता बाकिर बाति नईखे जवानिंगा अंग्रेजी टाईप होलाकब बातिबाटी लिखा जाई कवनो ठेकाना नइखे सब की बाद भी भोजपुरी के ब्लागर भाई लोग के महिमा अपार बा कीब्लॉग दी माध्यम से एतना प्रकाशित हो गईल बा जेतना कबो छापाइल ना रहित.